इस दुनिया प्रणाली के अंतिम दिनों नूह के समय के समान हो जाएगा। दुष्टता से बढ़ रही है और प्रभु अब है कि पाप और नूह के समय से नफरत करता है। पाप का प्यार इस विचार मेरे दिल को नष्ट कर रहा है, बढ़ रही है। दुष्टता की प्रशंसा की है और धर्म की निंदा की है।
आस्तिक प्रभु के प्रति वफादार होने की जरूरत है। मैं यीशु के दूसरे वापसी और चर्च के उत्साह से पहले कितना समय पता नहीं है। ईसाई प्रभु की तलाश है और यीशु के बारे में लोगों को बताने की जरूरत है। आस्तिक नूह की तरह एक काम है। हमारे जीवन नूह की तरह एक सन्दूक होना चाहिए। प्रभु यीशु सन्दूक है। उन्होंने मेम्ने के प्रकोप से अपने लोगों की रक्षा करेगा। भगवान किसी को नाश करने के लिए नहीं चाहता है।
यीशु के सुसमाचार प्रचार हो और जिया की जरूरत है। दुखद तथ्य यह है कि कई ईसाइयों को सुसमाचार प्रचार नहीं करते हैं और वे यीशु का पालन करने की कोई इच्छा है कि है।
चर्च के विचार के लिए एक विकल्प है। शुद्ध जीवन कई ईसाइयों के लिए एक मजाक है। चर्च हम पिछले दिनों में रह रहे हैं एहसास है कि जरूरत है और हम यीशु के बारे में गंभीर होने की जरूरत है।
उत्पत्ति 6:11-22
11-12 परमेश्वर ने पृथ्वी पर दृष्टि की और उसने देखा कि पृथ्वी को लोगों ने बर्बाद कर दिया हैं। हर जगह हिंसा पैली हुई है। लोग पापी और भ्रष्ट हो गए है, और उन्होंने पृथ्वी पर अपना जीवन बर्बाद कर दिया है।
13 इसलिए परमेश्वर ने नूह से कहा, “सारे लोगों ने पृथ्वी को क्रोध और हिंसा से भर दिया है। इसलिए मैं सभी जीवित प्राणियों को नष्ट करूँगा। मैं उनको पृथ्वी से हटाऊँगा। 14 गोपेर की लकड़ी [a] का उपयोग करो और अपने लिए एक जहाज बनाओ। जहाज में कमरे बनाओ [b] और उसे राल से भीतर और बाहर पोत दो।
15 “जो जहाज मैं बनवाना चाहता हूँ उसका नाप तीन सौ हाथ [c] लम्बाई, पचास हाथ [d] चौड़ाई, तीस हाथ [e] ऊँचाई है। 16 जहाज के लिए छत से करीब एक हाथ नीचे एक खिड़की बनाओ [f] जहाज की बगल में एक दरवाजा बनाओ। जहाज में तीन मंजिलें बनाओ। ऊपरी मंजिल, बीच की मंजिल और नीचे की मंजिल।”
17 “तुम्हें जो बता रहा हूँ उसे समझो। मैं पृथ्वी पर बड़ा भारी जल का बाढ़ लाऊँगा। आकाश के नीचे सभी जीवों को मैं नष्ट कर दूँगा। पृथ्वी के सभी जीव मर जायेंगे। 18 किन्तु मैं तुमको बचाऊँगा। तब मैं तुम से एक विशेष वाचा करूँगा। तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पत्नी, तुम्हारे पुत्रों की पत्नियाँ सभी जहाज़ में सवार होगें। 19 साथ ही साथ पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जोड़े भी तुम्हें लाने होंगे। हर एक के नर और मादा को जहाज़ में लाओ। अपने साथ उनको जीवित रखो। 20 पृथ्वी की हर तरह की चिड़ियों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर तरह के जनावरों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी पर रेंगने वाले हर एक जीव के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर प्रकार के जानवरों के नर और मादा तुम्हारे साथ होंगे। जहाज़ पर उन्हें जीवित रखो। 21 पृथ्वी के सभी प्रकार के भोजन भी जहाज़ पर लाओ। यह भोजन तुम्हारे लिए तथा जानवरों के लिए होगा।”
22 नूह ने यह सब कुछ किया। नूह ने परमेश्वर की सारी आज्ञाओं का पालन किया।
मत्ती 24:36-44
36 “उस दिन या उस घड़ी के बारे में कोई कुछ नहीं जानता। न स्वर्ग में दूत और न स्वयं पुत्र। केवल परम पिता जानता है।
37 “जैसे नूह के दिनों में हुआ, वैसे ही मनुष्य का पुत्र का आना भी होगा। 38 वैसे ही जैसे लोग जलप्रलय आने से पहले के दिनों तक खाते-पीते रहे, ब्याह-शादियाँ रचाते रहे जब तक नूह नाव पर नहीं चढ़ा। 39 उन्हें तब तक कुछ पता नहीं चला जब तक जलप्रलय न आ गया और उन सब को बहा नहीं ले गया।
“मनुष्य के पुत्र का आना भी ऐसा ही होगा। 40 उस समय खेत में काम करते दो आदमियों में से एक को उठा लिया जायेगा और एक को वहीं छोड़ दिया जायेगा। 41 चक्की पीसती दो औरतों में से एक उठा ली जायेगी और एक वहीं पीछे छोड़ दी जायेगी।
42 “सो तुम लोग सावधान रहो क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा स्वामी कब आ जाये। 43 याद रखो यदि घर का स्वामी जानता कि रात को किस घड़ी चोर आ जायेगा तो वह सजग रहता और चोर को अपने घर में सेंध नहीं लगाने देता। 44 इसलिए तुम भी तैयार रहो क्योंकि तुम जब उसकी सोच भी नहीं रहे होंगे, मनुष्य का पुत्र आ जायेगा।
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