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Wednesday, January 8, 2014

जीत के साथ लोग

मैं दुनिया के इतिहास के बारे में पढ़ने के लिए प्यार . हम अन्य लोगों की गलतियों से सीख सकते हैं. दुखद बातें यह है. हम इतिहास से सबक नहीं लेते . आप अलग होना चाहते हैं तो आप इतिहास से सीखने की जरूरत है .
इजरायल के इतिहास मेरे जीवन में मदद करता है . भगवान उसे में कई वादे है, लेकिन यहूदियों भगवान समझ में नहीं आता . भगवान उन्हें वादा भूमि देता है, लेकिन वे भगवान का वादा दावा नहीं करते . यह एक समस्या हो गई है .
कई यहूदियों भगवान समझ में नहीं आता और वे दुनिया का पालन करें. कई यहूदियों झूठे विचारों का अनुसरण करता . इतिहास इस विचार से साबित है . वे वादा भूमि में प्रवेश किया जब यहूदियों अतीत में अन्य देवताओं की पूजा की. वे भगवान का क्रोध समझ में नहीं आया .
बहुत से लोग यहूदियों पर नफरत करेंगे लेकिन मैं एक ही समस्या है . मैं भगवान का क्रोध समझ में नहीं आता . पाप नहीं है , तो वहाँ भगवान के प्रकोप होगा . और मैं यीशु में मेरे जीवन में कोई समझौता नहीं करना चाहिए .मैं बाइबिल समझ लेकिन बाइबिल मेरे दिल में नहीं है जब बार कर रहे हैं .
मेरा जीवन यीशु के बिना बेकार है लेकिन मैं यीशु पर ध्यान केंद्रित है, तो मेरा जीवन बहुत अच्छा है . आप इस विचार को समझता हूँ.दुनिया के पाप अच्छा लगता है, लेकिन भगवान बुरी बातें से बचाने के लिए चाहते हैं.
भगवान का निर्णय आ रहा है और भगवान उनके लोगों के लिए सबसे अच्छा जीना चाहते हैं. यीशु के अनुयायी नरक में जाना नहीं होगा, लेकिन वे स्वर्ग में उनके पुरस्कार खो देंगे . एक व्यक्ति यीशु को खारिज कर दिया तो वे क्योंकि उनके पापों के नरक में जाना होगा . तो यीशु के अनुयायी एक नया दिल है लेकिन ठट्ठा एक नया दिल की जरूरत है.



निर्गमन 23:27-33

 

27 “जब तुम अपने शत्रुओं से लड़ोगे, मैं अपनी प्रबल शक्ति तुमसे भी पहले वहाँ भेज दूँगा। [a] मैं तुम्हारे सभी शत्रुओं के हराने में तुम्हारी सहायता करूँगा। वे लोग जो तुम्हारे विरुद्ध होंगे वे युद्ध में घबरा कर भाग जाएंगे। 28 मैं तुम्हारे आगे—आगे बर्रे भेजूँगा वह तुम्हारे शत्रुओं को भागने के लिए विवश करेंगे। हिब्बी, कनानी और हित्ती लोग तुम्हारा प्रदेश छोड़ कर भाग जाएंगे। 29 किन्तु मैं उन लोगों को तुम्हारे प्रदेश से बाहर जाने को शीघ्रतापूर्वक विवश नहीं करूँगा। मैं यह केवल एक वर्ष में नहीं करुँगा। यदि मैं लोगों को अति शीघ्रता से बाहर जाने को विवश करूँ तो प्रदेश ही निर्जन हो जाए। तब सभी प्रकार के जंगली जानवर बढ़ेंगे और वे तुम्हारे लिए बहुत कष्टकर होंगे। 30 मैं उन्हें धीरे और उस समय तक बाहर खदेड़ता रहूँगा जब तक तुम उस धरती पर फैल न जाओ और उस पर अधिकार न कर लो।
31 “मैं तुम लोगों को लाल सागर से लेकर फरात तक का सारा प्रदेश दूँगा। पश्चिमी सीमा पलिश्ती सागर (भूमध्य सागर) होगा और पूर्वी सीमा अरब मरुभूमि होगी। मैं ऐसा करूँगा कि वहाँ के रहने वालों को तुम हराओ। और तुम इन सभी लोगों को वहाँ से भाग जाने के लिए विवश करोगे।
32 “तुम उनके देवताओं या उन लोगों में से किसी के साथ कोई समझौता नहीं करोगे। 33 उन्हें अपने देश में मत रहने दो। यदि तुम उन्हें रहने दोगे तो तुम उनके जाल में फँस जाओगे। वे तुमसे मेरे विरुद्ध पाप करवाएंगे और तुम उनके देवताओं की सेवा आरम्भ कर दोगे।”


प्रकाशित वाक्य 20:11-15

 

11 फिर मैंने एक विशाल श्वेत सिंहासन को और उसे जो उस पर विराजमान था, देखा। उसके सामने से धरती और आकाश भाग खड़े हुए। उनका पता तक नहीं चल पाया। 12 फिर मैंने छोटे और बड़े मृतकों को देखा। वे सिंहासन के आगे खड़े थे। कुछ पुस्तकें खोली गयीं। फिर एक और पुस्तक खोली गयीं—यही “जीवन की पुस्तक” है। उन कर्मों के अनुसार जो पुस्तकों में लिखे गए थे, मृतकों का न्याय किया गया।
13 जो मृतक सागर में थे, उन्हें सागर ने दे दिया, तथा मृत्यु और पाताल ने भी अपने अपने मृतक सौंप दिए। प्रत्येक का न्याय उसके कर्मो के अनुसार किया गया। 14 इसके बाद मृत्यु को और पाताल को आग की झील में झोंक दिया गया। यह आग की झील ही दूसरी मृत्यु है। 15 यदि किसी का नाम ‘जीवन की पुस्तक’ में लिखा नहीं मिला, तो उसे भी आग की झील में धकेल दिया गया।

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