मैं इस्लाम धर्म में लेकिन बाइबिल में विश्वास नहीं करते. बाइबल यह सिखाती है. पाप सक्रिय या निष्क्रिय रूप में भगवान के खिलाफ गर्व, स्वतंत्र विद्रोह है.
हम पापी हैं, हम प्रभु यीशु मसीह की दया की जरूरत है. सच्चे ईसाई यीशु को स्वीकार करने और उसे पालन करें. प्रभु और उद्धारकर्ता के पाप में अपने में मर जाएगा के रूप में मुस्लिम यीशु को अस्वीकार कर देंगे. और वे स्वर्ग में जाना नहीं होगा. एक व्यक्ति यीशु को खारिज कर दिया तो वे नरक में अपने पाप के लिए दंडित किया जाएगा.
रोमियों 1:18-23
18 उन लोगों को जो सत्य की अधर्म से दबाते हैं, बुरे कर्मों और हर बुराई पर स्वर्ग से परमेश्वर का कोप प्रकट होगा। 19 और ऐसा हो रहा है क्योंकि परमेश्वर के बारे में वे पूरी तरह जानते है क्योंकि परमेश्वर ने इसे उन्हें बताया है।
20 जब से संसार की रचना हुई उसकी अदृश्य विशेषताएँ अनन्त शक्ति और परमेश्वरत्व साफ साफ दिखाई देते हैं क्योंकि उन वस्तुओं से वे पूरी तरह जानी जा सकती हैं, जो परमेश्वर ने रचीं। इसलिए लोगों के पास कोई बहाना नहीं।
21 यद्यपि वे परमेश्वर को जानते है किन्तु वे उसे परमेश्वर के रूप में सम्मान या धन्यवाद नहीं देते। बल्कि वे अपने बिचारों में निरर्थक हो गये। और उनके जड़ मन अन्धेरे से भर गये। 22 वे बुद्धिमान होने का दावा करके मूर्ख ही रह गये। 23 और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशवान मनुष्यों, चिड़ियाओं, पशुओं और साँपों से मिलती जुलती मूर्तियों में उन्होंने ढाल दिया।
रोमियों 3:10
शास्त्र कहता है:
“कोई भी धर्मी नहीं, एक भी!
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