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Saturday, July 25, 2015

आशीर्वाद एक मूर्ति हो सकता है

भगवान ने उसे एक बेटा दिया जब अब्राहम एक बूढ़ा आदमी था इब्राहीम सभी अपने दिल के साथ Issac प्यार करता था। लेकिन आशीर्वाद एक व्यक्ति और भगवान के बीच एक मूर्ति बन सकता है।

Issac इब्राहीम के लिए एक मूर्ति बन गया हो सकता था। परमेश्वर ने इब्राहीम की इच्छा का परीक्षण किया गया तो भगवान ने अपने बेटे का बलिदान करने को इब्राहीम से पूछा। लोग कई शब्द कह सकते हैं, लेकिन उनके कार्यों से उनकी इच्छाओं का साबित कर रहे हैं।

इब्राहीम परमेश्वर पर विश्वास किया तो वह अपने बेटे का बलिदान करने के लिए जा रहा था। इब्राहीम ने परमेश्वर के बजाय Issac के बलिदान होने के लिए एक जानवर लाना होगा पता था।

अब्राहम एक मूर्ति के रूप Issac नहीं था।

यह सबक मेरे दिल सिखाता है। मैं प्रभु के बाद की तलाश करने की जरूरत है और वह मुझे आशीर्वाद देंगे। लेकिन मैं एक मूर्ति में भगवान का आशीर्वाद बनाने की जरूरत नहीं है। हम मूर्तियों को बनाने के लिए नहीं की जरूरत है।

मैं परमेश्वर पिता इस धरती पर अपने ही बेटे को भेजा है पता है। यीशु ने इस पृथ्वी पर आया था और एक परिपूर्ण जीवन रहते थे।

उन्होंने कहा कि क्रॉस और विजय प्राप्त की मृत्यु हो जाने पर मृत्यु हो गई। एक व्यक्ति को अपने पापों से पश्चाताप और यीशु का पालन करने की जरूरत है।



उत्पत्ति 22:1-11

 इन बातों के बाद परमेश्वर ने इब्राहीम के विश्वास की परीक्षा लेना तय किया। परमेश्वर ने उससे कहा, “इब्राहीम!”

और इब्राहीम ने कहा, “हाँ।”
परमेश्वर ने कहा, “अपना पुत्र लो, अपना एकलौता पुत्र, इसहाक जिससे तुम प्रेम करते हो मोरिय्याह पर जाओ, तुम उस पहाड़ पर जाना जिसे मैं तुम्हें दिखाऊँगा। वहाँ तुम अपने पुत्र को मारोगे और उसको होमबलि स्वरूप मुझे अर्पण करोगे।”
सवेरे इब्राहीम उठा और उसने गधे को तैयार किया। इब्राहीम ने इसहाक और दो नौकरों को साथ लिया। इब्राहीम ने बलि के लिए लकड़ियाँ काटकर तैयार कीं। तब वे उस जगह गए जहाँ जाने के लिए परमेश्वर ने कहा। उनकी तीन दिन की यात्रा के बाद इब्राहीम ने ऊपर देखा और दूर उस जगह को देखा जहाँ वे जा रहे थे। तब इब्राहीम ने अपने नौकरों से कहा, “यहाँ गधे के साथ ठहरो। मैं अपने पुत्र को उस जगह ले जाऊँगा और उपासना करूँगा। तब हम बाद में लौट आएंगे।”
इब्राहीम ने बलि के लिए लकड़ियाँ लीं और इन्हें पुत्र के कन्धों पर रखा। इब्राहीम ने एक विशेष छुरी और आग ली। तब इब्राहीम और उसका पुत्र दोनों उपासना के लिए उस जगह एक साथ गए।
इसहाक ने अपने पिता इब्राहीम से कहा, “पिताजी!”
इब्राहीम ने उत्तर दिया, “हाँ, पुत्र।”
इसहाक ने कहा, “मैं लकड़ी और आग तो देखता हूँ, किन्तु वह मेमना कहाँ है जिसे हम बलि के रूप में जलाएंगे?”
इब्राहीम ने उत्तर दिया, “पुत्र परमेश्वर बलि के लिए मेमना स्वयं जुटा रहा है।”
इस तरह इब्राहीम और उसका पुत्र उस जगह साथ—साथ गए। वे उस जगह पर पहुँचे जहाँ परमेश्वर ने पहुँचने को कहा था। वहाँ इब्राहीम ने एक बलि की वेदी बनाई। इब्राहीम ने वेदी पर लकड़ियाँ रखीं। तब इब्राहीम ने अपने पुत्र को बाँधा। इब्राहीम ने इसहाक को वेदी की लकड़ियों पर रखा। 10 तब इब्राहीम ने अपनी छुरी निकाली और अपने पुत्र को मारने की तैयारी की।
11 तब यहोवा के दूत ने इब्राहीम को रोक दिया। दूत ने स्वर्ग से पुकारा और कहा, “इब्राहीम, इब्राहीम।”
इब्राहीम ने उत्तर दिया, “हाँ।”

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